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Showing posts from November, 2018

हजरत हूद की दावत

                       हजरत हूद की दावत जब कौमे आद शिर्क व बुत परस्ती में हद से बढ गई, तो अल्लाह तआला ने हजरत हूद को नबी बना कर उन की हिदायत के लिये भेजा | उन्होंने कौम के लोगों को तोहीद व इबादते इलाही की दावत दी, शिर्क व बुत परस्ती और लोगों पर जुल्म व जियादती करने से मना किया | कौम ने उन की नसिहत कुबूल करने के बजाए झुटलाना शूरु कर दिया, हजरत हूद ने उन्हें अल्लाह तआला के अजाब से डराया तो वह लोग मजाक उडते हुए कहने लगे के अगर तुम अपनी दावत में सच्चे हो, तो हमारे पास अजाब लेकर आओ अल्लाह तआला ने इस हट धर्मी और मुतालबे पर तीन साल तक कहत साली के अजाब में मुब्तला कर दिया | जिस की वजह से उन के बागात व खेतियाँ सब बरबाद हो गई, इतनी बडी तबही से इबरत हासील करने के बजाए उस बदबख्त कौम की बगावत व सरकशी और जियादा बढ गई, बिलआखिर दोबारा अल्लाह तआला का गजब भडक उठा और एक हप्ते तक चलने वाली तुफानी हवाओ ने उन का नाम व निशान मिटा कर रख दिया | कौमे आद की हलाकत के बाद हजरत हूद अहले ईमान को लेकर यमन के शहर “हजर मौत” चले गए और यहाँ पचास साल तक दावत व तब्लीग का फरीजा अन्जाम देने के बाद ४६४ साल की उम्र में

कौमे आद

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                            कौमे आद “ आद ” अरब की एक कदीम तरीन कौम का नाम है, इस का जिक्र कुर्आने पाक में २५ मर्तबा आया है, यह कौम जुनुबी अरब में आबाद थी और अम्मान से ले कर यमन तक १३ बिरादरियों में फैली हुई थी, उन के मुल्क की राजधानी यमनी शहर “हजर मौत” थी, उस का जमाना हजरत नूह के तकरीबन चार सौ साल बाद और हजरत ईसा के तकारीबन दो हजार साल पहले का है | यह अपने जमाने की ताकतवर कौम थी और फन्ने तामीर में बडी महारत रखती थी, पहाडों को तराश कर शान्दार इमारते बनाना उन का महबूब मश्गला था, यह कौम माल व दौलत के नशे में ऐश परस्ती में मुब्तला हो गई थी, कमजोरों पर जुल्म करना, हक बात की मुखालफत और माल व दौलत और अपनी ताकत पर घमंड करना उन की फितरत बन गई थी, जब उस कौम की जुल्म व ज्यादती और शिर्क व बूत परस्ती हद से बढ गई, तो अल्लाह तआला ने हजरत हूद को नबी बना कर उन की हिदायत के लिये भेजा |                                                                                               

कौमे नूह पर अल्लाह का अजाब

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              कौमे नूह पर अल्लाह का अजाब हजरत नूह साढे नौ सौ साल तक अपनी कौम को दावत देते रहे और कौम के अफराद बार बार अजाब का मुतालाबा करते रहे, साथ ही अल्लाह तआला ने हजरत नूह को खबर दी के अब मौजूदा ईमान वलों के अलावा कोई और ईमान नहीं लाएगा | तो उन्होंने दुआ की : ऐ अल्लाह ! अब इन बदबख्तों पर ऐसा अजाब नाजील फर्मा के एक भी काफिर व मुशरिक जमीन पर जिन्दा न बचे | अल्लाह तआला ने उन की दुआ कुबूल फर्मा ली और हुक्म दिया के तुम हमारी निगरानी और हुक्म के तहत एक कश्ती तय्यार करो, चुनान्चे एक कश्ती तय्यार की गई, फिर अल्लाह तआला के हुक्म से जमीन व आस्मान से पानी के दहाने खुल गए और देखते ही देखते जमीन पर पानी ही पानी जमा हो गया, उस वक्त हजरत नूह बहुक्मे खुदावन्दी मोमिनीन और जान्दारों में से एक एक जोडे को ले कर कश्ती में सवार होगए, बाकी तमाम काफिर व मुशरिक पानी के इस तुफान में हलाक होगए, छ महीने के बाद कश्ती १० मुहर्रमुलहरम को जूदी पहाड पर ठहरी तो हजरत नूह अहले ईमान को लेकर अमन व सलामती के साथ जमीन पर उतरे और फिर अल्लाह तआला ने उन्हीं से दुनिया की आबादी का दोबारा सिलसिला शुरू फर्माया, इसी

हजरत नूह की दावत

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                      हजरत नूह की दावत जब लोगों की नाफर्मानी और बुत परस्ती दुनिया में आम होगई, तो अल्लाह तआला ने उन की हिदायत रहेनुमाई के लिये हजरत नूह को नबी बनाया | उन्होनें लोगों को नसीहत करते और दीन की दावत देते हुए फर्माया : तुम सिर्फ अल्लाह की इबादत व बन्दगी करो, वह तुम्हारे गुनाहों को माफ कर देगा | इस नसीहत को सून कर कौम के सरदारों ने जवाब दिया : हम तुम्हे रसूल नही मानते, क्योंकि तुम हमारे ही जैसे आदमी हो नीज तुम्हारी पैरवी जलील व हकीर और कम दर्जे के लोगों ने कर रखी है | हजरत नूह ने फर्माया : अल्लाह तआला के यहाँ सआदत व नेक बख्ती का दारोमदार दौलत पर नहीं, बल्के अल्लाह की रजामन्दी और इख्लासे निय्यत पर है | मैं तुम्हे यह दावत माल व दौलत की उम्मीद पर नही, बल्के अल्लाह के हुक्म और उस की रजा के लिये दे रहा हुँ | वही मेरी मेहनत का अज्र व सवाब अता फर्माएगा | गर्ज हजरत नूह दिन रात इन्फिरादी व इज्तेमाई और खुसूसी व उमुमी तौर पर एक तवील अर्से तक कौम को शिर्क व कुफ्र और अल्लाह तआला की नाफर्मानी से डरते रहे, मगर वह बाज तो क्या आते, बल्के उल्टा अजाबे इलाही का मुतालबा करने लगे |  

हजरत नूह

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                          हजरत नूह   हजरत आदम की वफात के एक हजार बरस तक लोग अल्लाह तआला की तोहीद पर काएम थे, फिर बाज नेक बन्दों के इन्तेकाल के बाद लोगों ने उन के मुजस्समे बना लिये और धीरे धीरे उन की पूजा शुरू हो गई |  इस तरह पुरे अरब व अजम में शिर्क व बूत परस्ती की बुनियाद पड गई | जब लोग अल्लाह तआला की इबादत छोड कर शिर्क व बुत परस्ती में मुब्तला हो गए, तो उन की हिदायत के लिये अल्लाह तआला ने हजरत नूह को नबी व रसूल बना कर भेजा | हजरत नूह का शुमार दुनिया के अजीम तरीन अम्बिया में होता है | वह सब से पहले नबी और रसूल हैं | हजरत इदरीस की तीसरी पुश्त में हजरत आदम की वफात के एक हजार पच्चीस साल बाद दजला व फुरात की वादी के दर्मीयान मुल्के इराक में पैदा हुए | अल्लाह तअला ने कुर्आने पाक में ४३ मकाम पर उन का तजकेरा फर्माया हैं |                                       

हजरत इदरीस की दावत

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                                                       हजरत इदरीस की दावत हजरत इदरीस जवान हुए तो अल्लाह तआला ने आप को नुबुव्वत से नवाजा और तीस सहीफे नाजिल फर्माए, नुबुव्वत मिळते ही आप ने दावत व तबलीग का काम शुरु कर दिया,  मुसलसल दावत देने के बावजूद थोडे से लोगों ने ईमान कबूल किया और अक्सर लोग झुटलाने और सताने में लगे रहे, जब लोगों का जुल्म व सितम हद से बढ गया, तो अल्लाह तआला के हुक्म से अहले ईमान को लेकर बाबुल से मिस्र चले गए और दरीयाए नील के किनारे आबाद होगए और आखरी वक्त तक लोगों के दर्मीयान उन्ही की जबान में अल्लाह का पैगाम और दीनी दावात का फरीजा अन्जाम देते रहे | उन की शरीअत और दावात का खुलासा यह था के तौहीद पर ईमान लाओ, आखीरत की नजात के लिये अच्छे अमल करो, तमाम कामों में अदल व इन्साफ करो, अय्यामे बीज के रोजे रखो, जकात अदा करो, नशा आवर चीजों से परहेज करो, शरीअत के मुताबिक अल्लाह की इबादत करो वगैरह | वह आखरी वक्त तक लोगों को दीन की दावत और अच्छे कामों की नसीहत करते की हुए तीन सौ पैंसठ साल की उम्र में अपने खालिके हकीकी के दरबार में पहुँच गए |                              

रसूलुल्लाह की परवरिश और खानदान

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            रसूलुल्लाह की परवरिश और खानदान रसूलुल्लाह अरबीयुन नस्ल और अरब के बा इज्जत कबिला कुरैश के खानदान बनी हाशीम में पैदा हुए | खुद हुजूर ने फर्माया : अल्लाह तआला ने इस्माईल की नस्ल में से “कनाना” को मुमताज बनाया और कनाना में से “कुरैश” को इज्जत अता फर्माई और कुरैश में “बनी हाशीम” को इम्तियाज बख्शा और बनी हाशीम में से मुझे मुन्तखब फर्माया |” आप सल. की वालिदा बीबी आमिना खान्दाने बनू जोहरा की मोअज्जज खातून थीं | पैदाइश के बाद आप सल. को सौबिया ने दुध पिलाया | आरब के शुरफा का दस्तूर था के बच्चों को परवरिश के लिये देहात की औरतों के हवाले करते थे, ताके वहाँ की साफ व शफ्फाफ हवा की वजह से बच्चे सेहतमन्द और तन्दरुस्त रहें | इसी दस्तूर के मुवाफिक आप सल. को दादा अब्दुलमुत्तलिब ने हवाजिन के कबिला बनी सअद की एक शरीफ खातून हजरत हलीम सादिया के सुपूर्द किया | उन्होंने चार या पाँच साल तक आप सल. की परवरिश फर्माई. साल में दो मर्तबा आप सल. को मक्का ला कर वालीदा आमिना और दादा अब्दुल मुत्तलिब को दिखा जाती थीं |                                    

रसूलुल्लाह की मुबारक पैदाइश

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                 रसूलुल्लाह की मुबारक पैदाइश आखरी नबी हजरत मोहम्मद की मुबारक पैदाइश मक्का मुकर्र्मा में माहे रबिउल अव्वल मुताबिक माहे एप्रिल ५७१ इसवी पीर के दिन ऐसे  माहोल में हुई के पुरी दुनिया पर कुफ़्र व शिर्क की तारीकी छाई हुई थी और इन्सानियत गुमराही में भटक रही थी, गोया रुहानी तोर पर हर तरफ अंधेरा फैला हुआ था और जो अल्लाह हर रोज चाँद, सुरज और सितारों के जरिये सारे आलम को रोशन करता था, आज उस ने इन्सनो के तारीक दिलों को अपनी इबादत व बन्दगी की रोशनी आता करने के लिये अपने प्यारे बंन्दे हजरत मुहम्मद सल. को हिदायत का आफताब बना कर सय्यीदा आमिना के घर पैदा फर्माया | पैदाइश के बाद दादा अब्दुल मुत्तलिब ने मुहम्मद नाम रखा | यह नाम अरब में बिलकुल अनोखा था | लोगों ने अब्दुल मुत्तलिब से अपने पोते का नया नाम रखने की वजह मालूम की, तो उन्होंने कहा के मेरे पोते की पुरी दुनिया में तारीफ की जाएगी, इस लिये मैं ने यह नाम रखा है | फिर आप सल. की पैदाइश की ख़ुशी में आप सल. के दादा ख्वाजा अब्दुल मुत्तलिब ने अकीका किया और तमाम कुरैश को दावत दी |                                                    

हजरत इदरीस

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                          हजरत इदरीस हजरत इदरीस मशहूर नबी हैं, वह हजरत आदम की वफात से तकरीबन सैा साल बाद और हजरत नूह से एक हजार साल पहले शहर बाबुल  मे  पैदा हुए |  उन्होंने हजरत शीस से इल्म हासील किया | इल्मे नुजुम, इल्मे हिसाब, सिलाई, नाप तौल, असलिहा साजी और फन्ने तहरीर व किताबत के मुजिद और बानी हजरत इदरीस हैं | उन के जमाने में मुतअद्दद जबानें बोली जाती थी, अल्लाह तआला ने उन को सारी जबानें सिखाई, चुनांचे वह लोगों से उन्ही की जबान में बात चीत किया करते थे | कु र्आने पाक में उन का इस तरह जिक्र किया गया हैं के वह बडे सच्चे और सब्र करने वाले नबी थे | उन को कुर्बे खुदावन्दी का ऊँचा मर्तबा अता किया गया था | मोअर्रिखीन ने आप के अख्लाक का तजकिरा इस तरह किया है के गुफतगु में सन्जीदा, खामोश तबीअत थे, चलते वक्त जमीन पर निगाह रखते और बात करते वक्त शहादत की उंगली से बार बार इशारा फर्माते थे, पुरी जिंन्दगी दावत व तब्लीग में गुजार दी |                          

हजरत शीस

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                            हजरत शीस हाबील के कत्ल के बाद अल्लाह तआला ने हजरत आदम को हजरत शीस जैसा नेक फरजन्द अता फर्माया | वह हजरत आदम के सच्चे जानशीन हुए और आगे चल कर पुरी नस्ले इन्सानी का सिलसिला इन्हीं से चला, अल्लाह तआला ने उन  को  नुबुव्वत से नवाजा और पचास सहीफे उन पर नाजील फर्माए | जब हजरत आदम का इन्तेकाल हुआ तो जिब्रईल के हुक्म से हजरत शीस ही ने नमाजे जनाजा पढाई, उन्होंने हजूरा नामी औरत से निकाह किया और उन से एक लडका और एक लडकी पैदा हुई, हजरत शीस ने अपनी जिन्दगी मक्का में गुजारी और हर साल हज व उमरा करते रहे |  उन को दिन रात में मुख्तलिफ इबदतों का तरीका सिखाया गया था  और एक बडे तुफान के आने और सात साल तक रहने की खबर दी गई थी | हजरत शीस ने नौ सैा बारा साल की उम्र पाई, जब इन्तेकाल का वक्त करीब आया, तो अपने बेटे अनुश को अल्लाह के अहकाम के मुताबिक जिन्दगी गुजरने की वसिय्यत फर्माई, वफात पाने के बाद अपने वालिदैन के पहलू में जबले अबी कुबैस के गार मे दफ्न किए गए |                                                                  

हजरत आदम के दो बेटे

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                  हजरत आदम के दो बेटे   हजरत आदम जन्नत में तन्हा रहेते हुए बेचैनी महसूस करने लगे, तो तसल्ली के लिए अल्लाह तआला ने उन की बाई फसली से हजरत हव्वा को पैदा किया और दोनों को हुक्म दिया के इस दरख्त के अलावा जन्नत की तमाम नेअमतों का इस्तेमाल करो | शैतान ने वस्वसा डाल कर  बहकाया के इस दरख्त की खुसुसियत यह है के इस का फल खाने के बाद तुम हमेशा जन्नत में  रहोगे, चुनांचे शैतान के धोके में आकर उन्होने इस दरख्त का फल खा लिया, अल्लाह तआला ने इस गळती की वजह से जन्नत का लिबास उतार कर दोनों को दुनिया में भेज दिया | हजरत आदम अपनी गलती पर बहुत शर्मिंन्दा हुए और एक मुददत तक तौबा व इस्तिगफार करते हुए अल्लाह के सामने रोते रहे, फिर अल्लाह तआला ने उन की तौबा कुबूल फर्माई | उस के बाद दुनिया में हजरत आदम और हव्वा से नस्ले इन्सानी का सिलसिला शुरु हुआ |  काबिल और हाबील हजरत आदम के दो बेटे थे | दोनों के दर्मियान एक बात को लेकर झगडा हो गया | काबिल ने हाबील को कत्ल कर डाला, जमीन पर यह पहली मौत थी और इस बारे में अभी तक आदम की शरीअत में कोई हुक्म नही मिला था | इस लिये काबिल परेशान था क

हजरत आदम

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हजरत आदम वह पहले इन्सान हैं जिन से दुनिया में बसने वाले इन्सानों की इब्तेदा हुई है | अल्लाह तआला ने उन का खमीर तय्यार करने से पहले फरिश्तों से कहा : “अन्करिब में मिट्टी से एक ऐसी मख्लूक पैदा करने वाला हुँ जिसे जमीन में हमारी खिलाफत का शर्फ हासिल होगा |” चुनांचे हजरत आदम का खमीर मिट्टी से गुंधा गया, फिर अल्लाह तआला ने उस में रूह फुँक दी, तो उसी वक्त वह जिन्दा इस्नान बन गए, उन के सामने फरिश्तों को सज्दा करने का हुक्म दिया, तो तमाम फरिश्ते अल्लाह तआला के हुक्म की इताअत करते हुए सज्दे में गिर गए मगर शैतान ने अपनी बडाई और तकब्बुर की वजह से सज्दे से इन्कार कर दिया और कहने लगा : “मै उस से बेहतर हुँ क्योंकि आप ने मुझे आग से पैदा किया और आदम को मिट्टी से पैदा किया है |” इस तरह शैतान अल्लाह के हुक्म को न मान कर हमेशा के लिये अल्लाह की लानत का मुस्तहिक बन गया और उसी वक्त से वह आदम और उन की औलाद का दुश्मन बन गया |

जिन्नात की पैदाइश

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कु र्आन व हदीस मे जिनों का तजकेरा कसरत से आया है, इन्सानों से पहले ही उन की पैदाइश हो चुकी थी, अल्लाह तआला ने इन को आग से पैदा फर्माया, एक तवील जमाने तक वह जमीन में आबाद रहे, फिर उन्होंने फसाद मचाना और खुन बहाना शुरू किया, तो अल्लाह तआला ने फरिश्तों के जरिये उन्हें समन्दर के जजीरों और दूर दराज पहाडों की तरफ भगा दिया |  इबलीस भी जिन्नात में से था लेकिन कसरत इबादत की वजह से फरिश्तों का सरदार बना दिया गया था | लेकीन जब अल्लाह तआला ने हजरत आदम के सामने सज्दा करने का हुक्म दिया तो उस ने तकब्बुर किया और सज्दा करने से इन्कार कर दिया | चुनांचे अल्लाह तआला ने धुतकार कर उस को दुनिया में भेज दिया और उस से तमाम नेअमतें छीन ली | इस तरह तकब्बूर ने उसे हमेशा के लिये जलील व रुस्वा कर दिया |   हुजूर सल. इस दुनिया में इन्सान व जिन्नात दोनों की हिदायत व रहेनुमाई के लिये भेजे गए थे | चुनांचे अहादीस में जिनों को इस्लाम की दावत देने का जिक्र मौजूद है और कु र्आने करीम में जिन्नात की एक जमात के ईमान लाने का भी तजकेरा मौजूद है |                                                        

फरिश्ते अल्लाह की मख्लूक हैं

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               फरिश्ते अल्लाह तआला की मख्लूक हैं, जो नुर से पैदा हुए हैं | वह हमारी नजरों से गाएब हैं | कभी अल्लाह की नाफर्मानी नही करते | अल्लाह तआला ने उन को मुख्तलीफ कामों पर लगा रखा है, वह हर वक्त उन्ही कामों में लगे रहते हैं | फरिश्ते बेशुमार हैं, उन की सही तादाद अल्लाह तआला ही को मालूम हैं, उन मे चार फरिश्ते मशहुर व मुकर्रब हैं  (१) हजरत जिब्रईल जो अल्लाह की किताबें और अहकामात पैगम्बरों के पास लाते थे |  (२) हजरत इसराफील जो कयामत में अल्लाह तआला के हुक्म से सूर फुँकेंगे |  (३) हजरत मीकाईल जो बारीश का इन्तेजाम करने और मख्लूक को रोजी पहुँचाने पर मुकर्रर हैं | (४) हजरत इजराईल जो मख्लूक की जान निकालने पर मुकर्रर हैं |  इसी तरह इन के अलावा भी बहुत सारे फरिश्ते हैं, जो अल्लाह तआला की हम्द व सना और उस की पाकी बयान करने में लगे रहाते हैं |                                                   

जमीन व आस्मान की पैदाइश

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               जमीन व आस्मान की पैदाइश        अल्लाह तआला ने पुरी काएनात और उस की तमाम चीजों को बेमिसाल पैदा किया है | कु र्आने करीम में जमीन व आस्मान की पैदाइश का तजकेरा कई जगह आया है और बाज जगह सराहात के साथ मजकूर है के किस को कितने दिनों में पैदा किया है | उन तमाम आयतों को सामने रखने के बाद पता चलता है के पहले जमीन का माद्दा तय्यार किया गाय और वह अभी इसी हलत में था के आस्मान के माद्दे को धुएं की शक्ल में बनाया गया, फिर जमीन को मौजूदा शक्ल व सुरत पर फैलाया गया और साथ हि उस की तमाम चीजें पैदा की गई, उस के बाद सातों आस्मानों को बनाया गया | इस तरह जमीन व आस्मान और उन के दर्मियान की चीजें वूजूद में आई | यह सारा काम कुल छ दिन  में  मुकम्म्ल हो गया | खुद अल्लाह तआला कु र्आन में फर्माता है : “हम ने ही जमीन व आस्मान और उन के दर्मियान की चीजों को छ दिन में पैदा किया और हमें उन की पैदाइश में थकान का कोई एहसास न हुआ |” {सुर-ए-काफ}                                                          

अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया

       अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी | कु र्आन पाक मे अल्लाह तआला फर्माता है के हर चीज खतम हो जाएगी और सिर्फ आप के इज्जत व बुजुर्गी वाले रब की जात बाकी रहेगी | (सुर-ए-रहमान २६ ता २७) हजरत उबदा बिन सामित बयान करते हैं के रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “(इस दुनया की तमाम चीजों में) सब से पहले अल्लाह तआला ने कलम को पैदा फर्माया और उसे लिखने का हुक्म दिया, तो उस ने अरज किया : ऐ मेरे रब ! मैं क्या लिखूँ ? अल्लाह तआला ने उसे कयामत तक की पुरी काइनात की तकदीर लिखने का हुक्म दिया |” (अबू दाऊद ४७००) फिर उस ने उस वक्त से कयामत तक होणे वाली तमाम चीजों को लिख दिया | एक दुसरी हदीस मे रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “अल्लाह तआला ने मख्लूक की तकदीर को जमीन व आसमान की पैदाइश से पचास हजार साल पहले लिखा है |” (मुस्लीम : ६७४८) उस वक्त से कयामत तक दुनया में जो कूछ होता है या होगा, कलम उन चीजों को बहुक्म खुदावंदी पहले हि लिख चुका है |  

सिला रहमी करणा

                     सिला रहमी करणा कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग अल्लाह के अहद को तोडते हैं, उस के मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुकात को तोडते हैं, जिन के जोडने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान  उठाने    वाले हैं |” खुलासा : रिश्ते, नाते और तअल्लुकात को बरकरार रखना बहुत जरुरी है |      

जमात से नमाज पढने की ताकीद

                     जमात से नमाज पढने की ताकीद     रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “मर्दो को चाहिये के वह जमात को छोडने से रुक जाएँ; वरना मैं उन के घरों में आग लगवा दुँगा |” नोट : जमात छोडने वालों के लिये हदिसों में बहुत सख्त वईदें बयान की गई हैं, इस लिये तमाम मुसलमान मर्दो पर जमात का एहतेमाम करना बहुत जरुरी है |               

७) एक फर्ज के बारे मे

                              जानवरों में जकात :-   रसूलुल्लाह सल. ने कसम खा कर फर्माया : “जिस के पस ऊँट, गाय या बकरी हो और वह उस का हक अदा न करता हो, तो कयामत के दिन उन जान्वरों में सब बडे और मोटे को लाया जाएगा जो आपनी खुरों से उस आदमी को रोंदेगा और सींग मारेगा, जब जब भी आखरी जानवर गुजर जाएगा, तो पहले जानवर को लाया जाएगा (यह सिलसिला उस वक्त तक चलता रहेगा) जब तक के लोगों का हिसाब (न) हो जाए |” खुलासा: जिस तरह सोने, चाँदी और दुसरी चीजों में जकात फर्ज है, उसी तरह जानवरो में भी जकात फर्ज है, जब के निसाब के बकद्र हो |                    अजान सून कर नमाज को न जाना :-                                     रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जो शक्स अल्लाह के मुनादी (यानी मुअज्जिन) की आवाज सुने और नमाज को न जाए, तो उस का यह फेल सरासर जुल्म, कुफ़्र और निफाक है |”                     नमाजे जनाजा फर्जे किफाय है :-   रसूलुल्लाह सल. ने सात चीजों का हुक्म दिया, जिस में से एक जनाजे में शरीक होना भी है | नोट : नमाजे जनाजा फर्ज किफाय है, फर्ज किफाया ऐसे फर्ज को कहते हैं जो हर एक पर फर्ज