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Showing posts from June, 2019

हजरत यसअ Hajrat Yesa

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                    हजरत यसअ Hajrat Yesa हजरत यसअ का तजकेरा कुर्आन करीम के “सूर-ए-अनाम” और “सूर-ए-साद” दो जगह आया है |  जिस में उन की फजीलत व अजमत की खबर दी है, वह एक मालदार घराने के फरजन्द थे, इलाक-ए-सामरा के रहने वाले थे, वह इलाका कनान (फलस्तीन) में यरोशलम के शिमाल व मगरीब में बहरे रूम के साहिल के करीब वाके है | हजरत यसअ हजरत इलयास के चचाजाद भाई और उन के नाइब व खलिफा थे | शुरू में उन्हीं के साथ रहते थे |  जब हजरत इलयास का इन्तेकाल हुआ तो अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल की हिदायत व रहनुमाई के लिये उन को नबी बनाया | वह हजरत इलयास ही की तरह कौमे बनी इस्राईल को तौरात पर अमल करने की तरगीब देते और हक बात मानने और सीधे रास्ते पर चलने का हुक्म दिया करते थे और शिर्कीया बातों से बचे रहने की ताकीद करते थे | नुबुव्वत के साथ सियासी सुझ बुझ और जंगी तदबीरों से भी खूब वाकीफ थें                                      

हजरत इलयास Hajrat iliyas

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                                            हजरत इलयास Hajrat iliyas हजरत इलयास उरदुन के एक इलाका “जलआद” में पैदा हुए, कुर्आन पाक में आप का नाम इलयास और इलयासीन दोनों तरह जिक्र किया गया है |  अल्लाह तआला ने आप को अहले शाम की इस्लाह के लिये नबी बना कर भेजा | आप की दावत का इलाका शाम का मश्हूर शहर “बालबक्क” था जों दिमश्क से तक्रीबन दो किलो मिटर की दुरी पर वाके है | उस शहर में बाल नाम का सोने का एक बहुत बडा बुत था, वह लोग उसे अपना खुदा समझते थे | हजरत इलयास मे उन्हें एक अल्लाह तआला की इबादत की तरफ बुलाया और उन के बादशाह को दावत दी | उन लोगों ने आप की दावत को कबूल न किया और आप के कत्ल के दरपे हो गए | आप वहाँ से चले गए और जब बादशाह मर गया, तो आप वापस आए और नए बादशाह को दावत दी, तो उस ने और उस की पुरी कौम ने ईमान कबूल कर लिया |