हजरत यसअ Hajrat Yesa


                   हजरत यसअ Hajrat Yesa
हजरत यसअ का तजकेरा कुर्आन करीम के “सूर-ए-अनाम” और “सूर-ए-साद” दो जगह आया है | 
जिस में उन की फजीलत व अजमत की खबर दी है, वह एक मालदार घराने के फरजन्द थे, इलाक-ए-सामरा के रहने वाले थे, वह इलाका कनान (फलस्तीन) में यरोशलम के शिमाल व मगरीब में बहरे रूम के साहिल के करीब वाके है | हजरत यसअ हजरत इलयास के चचाजाद भाई और उन के नाइब व खलिफा थे | शुरू में उन्हीं के साथ रहते थे | 
जब हजरत इलयास का इन्तेकाल हुआ तो अल्लाह तआला ने बनी इस्राईल की हिदायत व रहनुमाई के लिये उन को नबी बनाया | वह हजरत इलयास ही की तरह कौमे बनी इस्राईल को तौरात पर अमल करने की तरगीब देते और हक बात मानने और सीधे रास्ते पर चलने का हुक्म दिया करते थे और शिर्कीया बातों से बचे रहने की ताकीद करते थे | नुबुव्वत के साथ सियासी सुझ बुझ और जंगी तदबीरों से भी खूब वाकीफ थें                    


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