Posts

Showing posts from December, 2020

वह मुबारक घर जहाँ आप रसुलूल्लाह सल. ने कायम फर्माया

Image
रसुलूल्लाह जब मक्का से हिजरत कर के मदीना आए, तो यहाँ के लोगों ने आप का पुरा जोश इस्तीकबाल किया | कुबा से मदीना तक रस्ते के दोनों जानिब सहाब-ए-किराम की मुकद्दस जमात सफ बनाए हुए खडी थी, जब आप मदीने में दाखील हुए, तो हर कबीले और खान्दन वाला ख्वाहिशमन्द था और हर शख्स की दिली तमन्ना थी के हुजूर सल. की मेजबानी का शर्फ हमें नसीब हो चुनान्चे आप की खिदमत में उँटनी की नकील पकड कर हर एक अर्ज करता के मेरा घर मेरा मांल और मेरी जान सब कुछ आप के लिये हाजिर है | मगर आप उन्हें दुआए खैर व बरकत देते और फर्माते ऊँटनी को छोड दो ! याह अल्लाह के हुक्म से चल रही है | जहाँ अल्लाहा का हुक्म होगा वही ठहरेगी, ऊँटनी चल कर हजरत अबू अय्युब अन्सारी के मकान के सामने रुक गई | सय्यदना अबू अय्युब अन्सारी ने इन्तेहाई ख़ुशी व मसर्रत के आलम में काजाव उठाया और अपने घर ले गए | इस तरह उन्हें रसूलुल्लाह की मेजबानी का शर्फ हासील हुआ | आप ने सात माह तक उस मकान में कायम फर्माया |

मदीना में हुजूर का इन्तेजार

Image
मदीना में हुजूर का इन्तेजार जब मदीना तय्यिबा के लोगों को यह मालूम हुआ के रासुलुल्लाह मक्का से हिजरत कर के मदीना तशरीफ ला रहे है, तो उन की ख़ुशी की इन्तेह न रही, बच्चे बच्चीयाँ अपने कोठों और छतों पर बैठ कर हुजूर सल. के आने की ख़ुशी में तराने गती थी, रोजाना जवान, बडे बुढे शहर से बहार निकल कर दोपहर तक आप सल. की तशरीफ आवरी का इन्तेजार करते थे, एक दिन वह इन्तेजार कर के वापस हो ही रहे थे, के एक यहुदी की नजर आप सल. पार पडी तो वह फौरन पुकार उठा “लोगो ! जिन का तुम को शिद्द्त से इन्तेजार था वह आगए ! बस फिर क्या था, इस आवाज को सुनते ही सारे शहर में ख़ुशी की लहर दौड गई और पुरा शहर “अल्लाहु अक्बर” के नारों से गुँज उठा और तमाम मुसलमान इस्तिकाबाल के लिये निकल आए, अन्सार हर तरफ से जौक दर जौक आए और मुहब्बत व अकीदत के साथ सलाम अर्ज करते थे, खुश आमदीद कहते थे | तकरीबन पांच सौ अन्सारियों ने हुजूर सल. का इस्तिकबाल किया |