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Showing posts from October, 2018

६) एक फर्ज के बारे मे

                          हमेशा सच बोलो   :- रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “तुम सच्चाई को लाजीम पकडो और हमेशा सच बोलो, क्योंकी सच बोलना नेकी के रास्ते पर डाल देता है और नेकी जन्नत तक पहुँचा देती है |”                             खडे हो कर नमाज पढना :-       कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : नमाज में अल्लाह के सामने आजीज बने हुए खडे हुआ करो | खुलासा : अगर कोई शख्स खडे होकार नमाज पढने की ताकत रखता हो, तो उस पर फर्ज और वाजीब नमाज को खडे हो कर पढना फर्ज है |                       नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना :-   रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है के तुम पर जरुरी और लाजीम है के भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको, वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे, उस वक्त तुम अल्लाह से दुआ माँगोग तो कबुल न होगी | खुलासा : नेकियों का हुक्म करना और   बुराइयों से रोकना उम्मत के हर फर्द पर अपनी हैसियत और ताकत के मुताबिक लाजिम और जरुरी है |                                              

५) एक फर्ज के बारे मे

                औलाद की मीरास में माँ बाप का हिस्सा         कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “माँ बाप ( में से हर एक )   के लिये मय्यित के छोडे हुए माल में छटा हिस्सा है, अगर मय्यित के लिये कोई औलाद हो |” खुलासा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस के वरसा में माँ बाप और औलाद है, तो माँ बाप में से हर एक को अलग अलग छटा हिस्सा देना फर्ज है |                         इस्लाम में नमाज की अहेमियत :-   रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “दिन बगैर नमाज के नही है नमाज दिन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लीए सर होता है”|                       अल्लाह ही मदद करने वाले हैं :-     कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “अल्लाह तआला ही जिन्दगी व मौत देता है, अल्लाह तआला के अलावा कोई काम बनाने वाला और मदद करने वाला नही है |” खुलासा : इन बातों पर ईमान लाना और इस का यकीन करना हर एक मुसलमान पर फर्ज है |                 अजाने जुमा के बाद दुनियावी काम छोड देना :- कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “ऐ ईमान वालो ! जुमा के दिन जब ( जुमा की ) नमाज के लिए अजान दि जाए, तो ( सब के सब )अ

४) एक फर्ज के बारे मे

                       कजा नमाजों की अदाएगी :-   रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जो कोई नमाज पढना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो ( उस का कफ्फरा यह है के ) जब याद आजाए उसी वक्त पढ ले |” खुलासा : अगर किसी शख्स के नमाज किसी उज्र की वजह से छुट जाए या सोने की हालत में नमाज का वक्त गुजर जाए तो बाद में उस को पढना फर्ज है |                          दिन में नमाज की अहेमियत :- एक शक्स ने आप से (सल.) अर्ज किया : “ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सब से जीयादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप ने फर्माया : “नमाज को उस के वक्त पर अदा करना और जो शक्स नमाज को ( जान बुझ कर ) छोड दे उस का कोई दीन नही है और नमाज दीन का सुतून है |”                  बाजमात नमाज पढने की निय्यत से मस्जिद जाना :- रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जो शख्स अच्छी तरह वूजू करे, फिर मस्जिद में नमाज के लिये जाए और वहाँ पाहुँच कर मालूम हो के जमात हो चुकी, तो उस को जमात की नमाज का सवाब होगा और उस सवाब की वजह से उन लोगों के सवाब में कूछ कमी नहीं होगी, जिन्होंने जमात से नमाज पढी है |”                    न

३) एक फर्ज के बारे मे

                    इशा की नमाज की अहेमियत :-   रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जिस शख्स ने इशा की नमाज जमात के साथ पढी गोया उसने आधी रात इबादत की और जिस ने फज्र की नमाज जमात से पढी ली गोया उस ने सारी रात इबादत की |”                       गुस्ल के लीए तयम्मुम करना :- कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “अगर तुम बिमार हो जाओ, या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई जरुरत ( यानी पेशाब पाखाना कर के ) आया हो या अपनी बिवी से मिला हो और तुम पाणी ( के इस्तेमाल पर ) ताकत न रखते हों, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो ( यानी तयम्मुम कर लो )|”  खुलासा :  अगर किसी पर गुस्ल फर्ज हो जाए और पाणी इस्तेमाल करने की ताकत न हो, तो ऐसी सुरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज पढना फर्ज है और तयम्मुम का तरिका यह है के पहेले निय्यत करे, फिर एक मर्तबा दोनों हाथों को मिट्टी पर मार कर अपने मुंह पर फेरे और दुसरी मर्तबा दोनों हाथों को मिट्टी पर मार कर कोहोनियाँ तक फेरे ले |                        रुकू व सज्दा अच्छी तरह करना :- रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “ बदतरिन   चोरी करने वाला

२) एक फर्ज के बारे मे

              बिवी की वीरासत मे शोहर का हिस्सा :- कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है : “ तुम्हारे लिए तुम्हारी बिवियों के छोडे हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन की कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बिवियों के छोडे हुए माल मे चोथाईं हिस्सा है ( तुम्हें यह हिस्सा ) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा |”                नमाजि पर जहन्नम की आग हराम है :-    रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “ जो शख्स पाँचो नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वूजू और औकात का एहतेमाम करे, रुकुअ और सज्दा अच्छी तरहा करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह ताआला का हक समझे तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा |”                      हज किन लोगों पर फर्ज है :­­-   कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है : “अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतूल्लाह का हाज करना ( फर्ज ) है जो वहाँ तक पाहूँचने की ताकत रखता हो |”                  शोहर की विरासात में बिवी का हिस्सा :-     कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है :- इन औरतों के लिए तुम्हारे छोडे हुए माल में चौथाई