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Showing posts from April, 2020

हूजूर का शाम का पहेला सफर Hujur ka sham ka pahela safar

दादा अब्दुल मुत्तलिब के इन्तेकाल के बाद हुजूर स. अपने चचा अबू तालिब के साथ रहेने लगे | वह अपनी औलाद से जियादा अप स. से मुहब्बत करते थे, जब वह तिजारत की गर्ज से शाम जाने लगे तो आप स. अपने चचा से लिपट गए | अबू तालिब पर इस का बडा असर पडा और आप को सफर मे साथ ले लिया | इस काफले मे शाम पहुँच कर “ मकामे बसरा ” मे कयाम किया | यहा बुहैरा नामी राहीब रहाता था | जो ईसाय्यत का बडा आलिम था | उस ने देखा के बादल आप पर साय किय हुए है और दरख्त की टहनियाँ आप स. पर झुकी हुई है | फिर उस ने अपनी आदत के बर खिलाफ इस काफले की दावत की | जब लोग दावत में गए, तो आप को कम उम्र होने की वजह से एक दरख्त के पास बैठा दिया | मगर बुहैरा ने आप स. को भी बुलवाया और अपनी गोद में बिठा कर मुहरे नबुव्वत देखने लगा |  उन्होंने तौरात व इन्जील में आखरी नबी स . से मुतअल्लिक सारी निशनियों को अप के अन्दर मौजूद पाया | फिर अबू तालिब से कहा के तुम्ह्रारा भतीजा आखरी नबी बनने वाला है | इन को मुल्क शाम न लेजाना, वरना यहुदी कत्ल की कोशिश करेंगे इंन्हे वापस ले जाओ और यहुद से इन की हिफाजत करो, चुनान्चे अबू तालिब इस मुख्तसर

रसूलुल्लाह स.की यतीमी Rasulullh S. ki ytimi

                      हुजूर स . की पैदाइश से पहले ही वालिद माजिद अब्दुल्लाहा का मदीने में इन्तेकाल हो गया था और आप स. यतीमी की हालत में पैदा हुए, जब उम्र मुबारक छ. साल की हुई, तो वालिदा सय्यिदा आमिना आप को लेकर अपने रिश्तेदारों से मिलने मदीना मुनव्वरा चली गई | वापसी में मकामे अबवा में बीमार हुई और वही इन्तेकाल फर्मा गई |  अब आप स. अपनी महबूब माँ की शफकत व मुहब्बत से भी महरूम हो गए | उस के बाद दादा अब्दुल मुत्तलिब की शफकत में पले बढे | वह आप को दिल व जान से जियादा चाहते थे, किसी वक्त भी आप से गाफिल नही रहते और काबे के साये में अपने साथ बिठाते थे, जब के खानदान में से किसी और को उन के साथ बैठऩे की हिम्मत नही होती थी | मगर दो साल बाद सिर्फ आठ साल की उम्र में आप के दादा अब्दुल मुत्तलिब भी दुनिया से चल बसे इस तरह यतीम मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह के सर से मुशफिक दादा का साया भी उठ गया | गोया अल्लाह तआला ने दुनिया की तरबियत व परवरिश के सारे असबाब को खत्म कर के खुद अपनी खुसूसी रहमत के तहत आप की तरबियत व निगरानी का इन्तेजाम फर्माया |                                                       

हुजूर की पैदाईश के वक्त दुनिया पर आसर Hujur ki paidaish ke vakt duniya par asar

रसुलल्लाह स. की मुबारक पैदाईश से ५० दिन पहेले असहाबे फील का वाकीआ पेश आया, शाहे यमन अबरहा, हथियों के एक बडे लश्कर को ले कर बैतुल्लाह शरीफ को ढाने के लिये मक्का आया मगर अल्लाह तआला ने उस पुरे लश्कर को तबाह कर के बैतुल्लाह की खुद हिफाजत फर्माई |  मोअर्रीखीन का बयान है के जिस वक्त हुजूर स. पैदा हुए, ठीक उसी वक्त किसरा के शाही महल में सख्त जलजला आगया और उस के चौदा कन्गुरे गिर गए, इसी तरह फारस के आतिशकदे की आग जो बराबर एक हजार साल से जल रही थी, एक दम से बुझ गई | गोया अल्लाह तआला की तरफ से एक तरह का यह एलान था के अब इस दुनिया में वह हस्ती पैदा हो चुकी है, जिन की अजमत व बुलंदी का चरचा पुरी दुनिया में होगा | जो कुफ्र व शिर्क और गुमराही को खत्म कर के, ईमान व तोहीद का बीज बोएगा और तमाम बुरी आदतों को खत्म करके लोगों को अच्छे अखलाक सिखाएगा और जो किसी एक कौम, काबीला व खान्दान और मुल्क का नही बल्के कयामत तक के लिये पुरी दुनिया का हादी व पैगम्बर होगा |    

याजूज व माजूज YAJUJ V MAJUJ

कुर्आन करीम के सूर–ए-काहफ में “ याजुज माजुज ” का तजकेरा है | यह लोग आम इन्सानों की तरह हजरत नूह की औलाद में से है | यह बडे जंगजू और ताकतवर थे | अपनी पडोसी कौमों पर हमले करते रहते, उन के घरों को ताबाह करते, कीमती चीजें लुट लेते और कत्ल व गारत गिरी करते थे | इन्ही लोगों के फितना व फसाद से हिफाजत के लिये जुलकरनैन ने एक मजबूत दीवार बनाई थी |  एक हदीस में आया है के कयामत के करीब जब हजरत ईसा मुसलमानों को ले कर कोहे तूर पर चले जाएँगे तो अल्लाह तआला याजुज व माजुज को खोल देंगे | और वह तेजी के साथ निकलने के सबब बलंदी से फिसलते हुए दिखाई देंगे, उन में से पहले लोग “ बुहैर-ए-तबरिया ” से गुजरेंगे, तो सारे पानी को पी कर दरिया को खुश्क कर देंगे | फिर हजरत ईसा और मुसलमान अपनी तकलीफ दूर करने के लिये अल्लाह तआला से दुआ करेंगे | अल्लाह तआला उन की दुआ कबूल फर्माएंगे और उन लोगों पर वबाई सुरत में एक बिमारी भेजेंगे और थोडी देर में याजुज व माजुज सब हलक हो जाएँगे |