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Showing posts from March, 2019

हजरत मूसा को तौरात का मिलना Hajrt Musa ko taurat ka milna

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          हजरत मूसा को तौरात का मिलना              Hajrt Musa ko taurat ka milna अल्लाह तआला ने चार मशहुर आसमानी किताबों में से “तौरात” हजरत मूसा को बनी इस्राईल की हिदायत के लिये अता फर्माई,  उन की कौम ने उस पर अमल न करने के लिये हिला बाजी शुरू कर दी, कभी तूर पर अल्लाह से बाते करने कि फरमाइश की, तो कभी अल्लाह तआला को देखने के बाद तौरात पर अमल करने का वादा किया, लेकीन यह कौम कोहे तूर पर अल्लाह का हुक्म सुनने के बाद भी हजरत मूसा और तौरात पर ईमान नही लाई फिर खुल्लम खुल्ला अल्लाह को देखने के मुतालबे पर गजबे खुदावंदी की वजह से सत्तर अफराद को जला कर हलाक कर दिया गया | उस के बाद हजरत मूसा की दुआ पर दोबारा जिन्दा किया और उन के सरों पर तूर पहाड को बुलंद कर के तौरात पर अमल करने का वादा लिया गया, उन को हफते के दिन इबादत करने का हुक्म दिया और मछली शिकार करने से मना किया | मगर अफसोस ! यह कौम हजरत मूसा के किसी हुक्म पर अमल तो क्या करती बल्के कदम कदम पर आप को सताने और जुल्म व जियादती में हद से बढती चली गई, बिलआखिर हजरत मूसा बनी इस्राईल की तक्लीफों पर सब्र और उन की हिदायात व इस्लाह क

गज्वे-ए-खैबर Gajve-e-khaibar

                 गज्वे-ए-खैबर Gajve-e-khaibar खैबर मदीना से शिमाल की जानिब सौ मील की दुरी पर है, यहुदी मदीना से जिला वतन हो कर यहाँ मुसलमानों के खिलाफ साजिश करने लगे, उन्होंने मदीना पर हमले के लिये बनू गितफान और दुसरे कबाइल को मदीना की आधी पैदावार देने के लालच में अपने साथ मिला लिया था, जब रसूलुल्लाह सल . को इस की इत्तेला मिली, तो आप ने सन ७ हिजरी के शुरू में सोला सौ सहाबा को ले कर खैबर की तरफ रवाना हो गए और वह लोग तकरीबन २५ हजार मौजुद थे, तीन रोज बाद एक ऐसे मैदान में पडाव डाला जो खैबर और गितफन के दर्मियान था, आप ने किलों को फतह करना शुरू कर दिया, कमूस नामी किले का सरदार अरब का मशहुर पहलवान मरहब था,  जो हजार शहासवारों पर भारी समझा जाता था, बीस दिन जंग जारी रहने के बावजुद किला फतह नही हुआ तो आप सल . ने फर्माया : “कल मैं झंडा ऐसे शख्स को दुँगा जिस को अल्लाह और उस के रसूल महबूब रखते हैं और जिस के हाथ पर फतह होगी |” दुसरी रोज आप ने हजरत अली को झंडा दिया | जब हजरत अली लशकर ले कर किले के दरवाजे पर पहुँचे तो मरहब ने हजरत अली को देख कर लडने की दावत दी, तो पहले ही वार में उन्होंने

कौमे बनी इस्राईल पर अल्लाह के इनामात kaume bani israil pr allah ke inamat

    कौमे बनी इस्राईल पर अल्लाह के इनामात    जब फिरऔन और उस की कौम की तबाही के बाद हजरत मूसा और बनी इस्राईल ने बहरे कुलजुम पार कर लिया, तो अल्लाह तआला ने उन्हें अपने वतन फलस्तीन जाने का हुक्म दिया, जिन पर कौमे अमालेका ने कब्जा कर लिया था, मगर बनी इस्राईल कौमे अमालेका की जंगी कुव्वत व ताकत की वजह से मुकाबला करने की हिम्मत न कर सके, इस बुजदिली पर अल्लाह तआला ने चाळीस साल तक मैदाने तीह में भटकते रहने की सजा दी, जो कोहे तूर के शिमाल में और सेहराए सीना के जुनूब में वाके है | अल्लाह तआला ने इस जलीलुलकद्र नबी की बरकत से बारा कबीलों के लिये बारा चश्मे जारी कर दिये | सख्त गर्मी से बचने के लिये बादल का साया और खाने के लिये मन व सलवा नाजिल फर्माया | मगर बनी इस्राईल नाशुक्री करने लगे और मन व सलवा जैसी नेअमतों को छोड कर साग सब्जियों का मुतालाबा करने लगे | फिर जब उन मे मुतालाबे पर हजरत मुसा तौरात लेने कोहे तूर पर गए, तो उन लोगों ने बछडे को माबूद बना कर उस की पूजा शुरू करदी | इस शिर्क व बुत परस्ती की माफी और तौबा के लिये एक दुसरे को कत्ल का हुक्म दिया गया, जिस के नतीजे में तीन हजार या सत्तर ह

फिरऔन को ईमान की दावत Firaoan ko iman ki davat

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                  फिरऔन को ईमान की दावत   अल्लाह तआला ने हजरत मुसा को नुबुव्वत और मुअजिजात देकर फिरऔन की हिदायत के लिये भेजा, उन्होंने फिरऔन के पास जाकर अल्लाह तआला पर ईमान लाने और बनी इस्राईल पर जुल्म न करने की नसीहत फर्माई |    फिरऔन और उस की कौम ने उन को झूटलाया, तो अपनी नुबुव्वत की तस्दीक के लिये मुअजिजात पेश फर्माए, मगर फिरऔन ने गुरुर व ताकत के नशे में हजरत मूसा की दावत का असर कबूल करने के बजाए आप के मुअजिजे को जादूगरी का करिश्मा समझ कर मुकाबले के लिये मुल्क के माहिर जादूगारों को बुला लिया, मगर वह जादूगार मुकाबले में नाकाम हो गए, और नुबुव्वत व सहर के फर्क और मुअजिजे की हकीकत को समझ कर जादुगरों ने ईमान कबूल कर लिया | इस मंजर को देख कर फिरऔन गुस्से से भडक उठा और उन को सख्त सजा दे कर हलाक कर डाला | उस के बाद भी हजरत मुसा मुसलसल उन्हें दावत देने में मसरुफ रहे, मगर उन बदबख्तों ने फिर भी ईमान कबूल न किया, जिस की वजह से उन पर कहत साली, तुफान, जूवों, मेंडक और खून के अजाब का सिलसिला शुरू होगया, इन सजाओं से इबरत हासील करने के बजाए उन की सरकशी व नाफर्मानी हद से बढ गई, तो अल्लाह तआल