हजरत शीस


                           हजरत शीस
हाबील के कत्ल के बाद अल्लाह तआला ने हजरत आदम को हजरत शीस जैसा नेक फरजन्द अता फर्माया | वह हजरत आदम के सच्चे जानशीन हुए और आगे चल कर पुरी नस्ले इन्सानी का सिलसिला इन्हीं से चला, अल्लाह तआला ने उन को नुबुव्वत से नवाजा और पचास सहीफे उन पर नाजील फर्माए |

जब हजरत आदम का इन्तेकाल हुआ तो जिब्रईल के हुक्म से हजरत शीस ही ने नमाजे जनाजा पढाई, उन्होंने हजूरा नामी औरत से निकाह किया और उन से एक लडका और एक लडकी पैदा हुई, हजरत शीस ने अपनी जिन्दगी मक्का में गुजारी और हर साल हज व उमरा करते रहे | 
उन को दिन रात में मुख्तलिफ इबदतों का तरीका सिखाया गया था और एक बडे तुफान के आने और सात साल तक रहने की खबर दी गई थी | हजरत शीस ने नौ सैा बारा साल की उम्र पाई, जब इन्तेकाल का वक्त करीब आया, तो अपने बेटे अनुश को अल्लाह के अहकाम के मुताबिक जिन्दगी गुजरने की वसिय्यत फर्माई, वफात पाने के बाद अपने वालिदैन के पहलू में जबले अबी कुबैस के गार मे दफ्न किए गए |                                  


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