हजरत नूह
हजरत नूह
हजरत आदम की वफात के एक
हजार बरस तक लोग अल्लाह तआला की तोहीद पर काएम थे, फिर बाज नेक बन्दों के इन्तेकाल
के बाद लोगों ने उन के मुजस्समे बना लिये और धीरे धीरे उन की पूजा शुरू हो गई |
इस
तरह पुरे अरब व अजम में शिर्क व बूत परस्ती की बुनियाद पड गई | जब लोग अल्लाह तआला
की इबादत छोड कर शिर्क व बुत परस्ती में मुब्तला हो गए, तो उन की हिदायत के लिये
अल्लाह तआला ने हजरत नूह को नबी व रसूल बना कर भेजा | हजरत नूह का शुमार दुनिया के
अजीम तरीन अम्बिया में होता है | वह सब से पहले नबी और रसूल हैं | हजरत इदरीस की
तीसरी पुश्त में हजरत आदम की वफात के एक हजार पच्चीस साल बाद दजला व फुरात की वादी
के दर्मीयान मुल्के इराक में पैदा हुए | अल्लाह तअला ने कुर्आने पाक में ४३ मकाम
पर उन का तजकेरा फर्माया हैं |
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