७) एक फर्ज के बारे मे


                            जानवरों में जकात :-
 रसूलुल्लाह सल. ने कसम खा कर फर्माया : “जिस के पस ऊँट, गाय या बकरी हो और वह उस का हक अदा न करता हो, तो कयामत के दिन उन जान्वरों में सब बडे और मोटे को लाया जाएगा जो आपनी खुरों से उस आदमी को रोंदेगा और सींग मारेगा, जब जब भी आखरी जानवर गुजर जाएगा, तो पहले जानवर को लाया जाएगा (यह सिलसिला उस वक्त तक चलता रहेगा) जब तक के लोगों का हिसाब (न) हो जाए |”
खुलासा: जिस तरह सोने, चाँदी और दुसरी चीजों में जकात फर्ज है, उसी तरह जानवरो में भी जकात फर्ज है, जब के निसाब के बकद्र हो |

                   अजान सून कर नमाज को न जाना :-                            
 रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जो शक्स अल्लाह के मुनादी (यानी मुअज्जिन) की आवाज सुने और नमाज को न जाए, तो उस का यह फेल सरासर जुल्म, कुफ़्र और निफाक है |”

                    नमाजे जनाजा फर्जे किफाय है :-
 रसूलुल्लाह सल. ने सात चीजों का हुक्म दिया, जिस में से एक जनाजे में शरीक होना भी है |
नोट : नमाजे जनाजा फर्ज किफाय है, फर्ज किफाया ऐसे फर्ज को कहते हैं जो हर एक पर फर्ज हो, लेकीन उन में से किसी ने भी अगर अदा कर दिया तो सब की तरफ से काफी हो जाएगा |

                         कर्ज अदा करणा :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : कर्ज की अदाएगी पर कुदरत रखने के बावजुद टाल मटोल करना जुल्म है |”
खुलासा : अगर किसी ने कर्ज ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज अदा करना जरुरी है, टाल मटोल करना जाइज नही है |

                             वसिय्यत पुरी करना :-   
कुर्आन में अल्लाह तआला ने चंद वारीसों का हिस्सों का जिक्र करने के बाद फर्माया : “( यह सब वरसा के हिस्सों की तक्सीम ) मय्यित की वसिय्यत को पुरा करने और कर्ज अदा करने के बाद की जाएगी |”
खुलासा : मय्यित ने अगर किसी के हक में कूछ वसिय्यत की हो, तो वारिसों को उन का हिस्सा देने से पहले मय्यित के छोडे हुए माल के तिहाई हिस्से से उस की वसिय्यत पुरी करना वाजीब है |    

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