वह मुबारक घर जहाँ आप रसुलूल्लाह सल. ने कायम फर्माया

रसुलूल्लाह जब मक्का से हिजरत कर के मदीना आए, तो यहाँ के लोगों ने आप का पुरा जोश इस्तीकबाल किया | कुबा से मदीना तक रस्ते के दोनों जानिब सहाब-ए-किराम की मुकद्दस जमात सफ बनाए हुए खडी थी, जब आप मदीने में दाखील हुए, तो हर कबीले और खान्दन वाला ख्वाहिशमन्द था और हर शख्स की दिली तमन्ना थी के हुजूर सल. की मेजबानी का शर्फ हमें नसीब हो चुनान्चे आप की खिदमत में उँटनी की नकील पकड कर हर एक अर्ज करता के मेरा घर मेरा मांल और मेरी जान सब कुछ आप के लिये हाजिर है |
मगर आप उन्हें दुआए खैर व बरकत देते और फर्माते ऊँटनी को छोड दो ! याह अल्लाह के हुक्म से चल रही है | जहाँ अल्लाहा का हुक्म होगा वही ठहरेगी, ऊँटनी चल कर हजरत अबू अय्युब अन्सारी के मकान के सामने रुक गई | सय्यदना अबू अय्युब अन्सारी ने इन्तेहाई ख़ुशी व मसर्रत के आलम में काजाव उठाया और अपने घर ले गए | इस तरह उन्हें रसूलुल्लाह की मेजबानी का शर्फ हासील हुआ | आप ने सात माह तक उस मकान में कायम फर्माया |

Comments

Popular posts from this blog

हुस्ने निय्यत की अहमियत व जरुरत Husne Niyyat ki ahmiyat v jrurat.

हजरत अबूबक्र सिद्दीक