हजरत ईसा की दावत Hazrat isa ki davt
हजरत ईसा की दावत Hazrat isa ki davt
अल्लाह तआला ने हजरत ईसा को बनी
इस्राईल की हिदायत और तोहीद की दावत देने के लिये ऐसे माहोल में भेजा के जब उन की
मजह्बी हालत नाकाबिले बयान हद तक खराब हो चुकी थी, मुशरिकाना रस्मों को उस कौम ने
अपनी जिंन्दगी का जुज बना लिया था, बद अखलाकी व बदमिजाजी, बुग्ज व हसद और रुहानी
बिमारीयाँ आम हो चुकी थी, तौरात के अहकाम व अलफाज को अपनी जरुरत और ख्वाहिश के
मुताबिक बदल दिया करते थे,
उन्होंने अपनी बद बख्ती की वजह से हजरत जकरिया व यहया को भी शहीद कर
डाला था | इन बिगडे हुए हालात में हजरत ईसा ने अपनी कौम को अल्लाह की इबादत करने
और उस को अपनी रब मानने और सीधे रस्ते पर चलने की दावत दी और फर्माया के मेरे ऊपर
नाजील होने वाली मुकद्दस इन्जील, उस तौरात की तसदीक करती है, जो हजरत मुसा पर नाजील हुई
थी | और यह भी फर्माया: मेरे बाद एक नबी आने वाले हैं जिन का नाम आसमानी किताबों
मे “अहमद” है, तुम उन
को सच्चा और आखरी रसूल मानना और उन पर नाजील होने वाली आखरी किताब कुर्आन करीम पर ईमान लाना
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