हजरत शमवील Hajrat Shamvil
हजरत
शमवील Hajrat Shamvil `
हजरत शमवील का सिलसिल-ए-नसब हजरत हरून से मिलता है,
बनी इस्राईल जब सर जमीने फलस्तीन में दाखील हो गए, तो उन पर एक ऐसा जमाना गुजरा,
के उन में न कोई नबी या रसूल थे और न ही कोई हाकिम, चुनान्चे पडोसी कौमे उन पर
हमला करती रहतीं |
ऐसे जमाने में बनी इस्राईल की इस्लाह व कयादत के लिये अल्लाह तआला
ने हजरत शमवील को नबी बनाया | उन्होंने कौम की दरख्वास्त पर हजरत तालुत
को उन का बादशाह बनाया, बाज लोगों ने एतराज किया, तो हजरत शमवील ने फर्माया
: यह अल्लाह तआला के हुक्म से है और उस की निशानी यह है के तुम्हारा सन्दूक जिस
में नबियों की मीरास थी और जिस को कौमे अमालोका ले कर चली गई थी,
फरिश्ते वह सन्दूक
ला कर देंगे, चुनान्चे ऐसा हि हुआ, फरिश्तों ने वह सन्दूक हजरत तालुत को
पहुँचा दिया, और हजरत तालूत बादशाह बना दिये गए |
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