हजरत मूसा को तौरात का मिलना Hajrt Musa ko taurat ka milna


         हजरत मूसा को तौरात का मिलना 
           Hajrt Musa ko taurat ka milna
अल्लाह तआला ने चार मशहुर आसमानी किताबों में से “तौरात” हजरत मूसा को बनी इस्राईल की हिदायत के लिये अता फर्माई, 
उन की कौम ने उस पर अमल न करने के लिये हिला बाजी शुरू कर दी, कभी तूर पर अल्लाह से बाते करने कि फरमाइश की, तो कभी अल्लाह तआला को देखने के बाद तौरात पर अमल करने का वादा किया, लेकीन यह कौम कोहे तूर पर अल्लाह का हुक्म सुनने के बाद भी हजरत मूसा और तौरात पर ईमान नही लाई फिर खुल्लम खुल्ला अल्लाह को देखने के मुतालबे पर गजबे खुदावंदी की वजह से सत्तर अफराद को जला कर हलाक कर दिया गया | उस के बाद हजरत मूसा की दुआ पर दोबारा जिन्दा किया और उन के सरों पर तूर पहाड को बुलंद कर के तौरात पर अमल करने का वादा लिया गया, उन को हफते के दिन इबादत करने का हुक्म दिया और मछली शिकार करने से मना किया | मगर अफसोस ! यह कौम हजरत मूसा के किसी हुक्म पर अमल तो क्या करती बल्के कदम कदम पर आप को सताने और जुल्म व जियादती में हद से बढती चली गई, बिलआखिर हजरत मूसा बनी इस्राईल की तक्लीफों पर सब्र और उन की हिदायात व इस्लाह की कोशिश करते हुए १२० साल की उम्र में वफात पागए और फलस्तीन के मकामे “अरीहा” में सुर्ख टीले के करीब दफन किये गए |                                

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