हजरत शुऐब की दावत और कौम की हलाकत
हजरत शुऐब की दावत और कौम की हलाकत
अल्लाह तआला ने हजरत शुऐब
को “अहले मदयन” और “असहाबे ऐका” के पास हिदायत के लिये भेजा,
यह कौम शिर्क व बुत
परस्ती में मुब्तला होने के अलावा तिजारती लेन देन में धोके बाजी, नाप तौल में कमी,
लूट खसूट और डाका जनी में हद से बढ गई थी | हजरत शुऐब ने उन तमाम बुराइयों
से बाज रहने और ईमान व तौहीद कबूल करने की दावत दी, मगर इस नाफर्मान और मुख्तलिफ
गुनाहों में मुब्तला कौम पर आप की नसीहत का कोई असर नही हुआ और पुरी कौम आप को शहर
बद्र करने और संगसार करने की धमकियाँ देने लगी और अप की इबादत व नमाज का मजाक उडाने
लगी, फिर भी हजरत शुऐब बराबर उन को समझाते रहे, कौमे लूत और दुसरी नाफर्मान
कौमों के बुरे अन्जाम का तजकेरा कर के डराते रहे, मगर यह बद बख्त और नाफर्मान कौम
जिद और हट धर्मी में बढती हि चली गई | बिलआखिर अल्लाह तआला ने उन को आसमानी आग और
जमीनी जलजले से तबाह व बरबाद कर दिया | हजरत शुऐब अहले ईमान को लेकर “हजर
मौत” चले गए और १४० साल की उम्र में वफात पाई |
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