हजरत याकूब पर आजमाइश
हजरत याकूब पर आजमाइश
दिगर अम्बिया की तरह हजरत
याकूब को भी काफी मुसीबतें बरदाश्त करनी पडी, जान व माल और औलाद में सख्त तरीन
आजमाइशों का सामना करना पडा, मगर हर मौंके पर वह साबिर व शाकिर ही रहे |
खास तौर
पर औलाद में एक लम्बे जमाने तक इम्तेहान में मुब्तला रहे | बुढापे में हजरत युसूफ
जैसे महबूब बेटे की जुदाई के गम में रोते रोते उन की बीनाई चली गई थी, अभी यह रंज
व गम खत्म नही हुआ था के उन के दुसरे बेटे बिनयामीन की जुदाई का वाकिआ पेश आगया |
इस तरह उन की महबूब औलाद उन से दूर हो गई |
इस के साथ ही दवात व तब्लीग में पेश
आने वाली तकालीफ और लोगों के इस दावत को कबूल न करने का रंज व गम अलग था | मगर
अल्लाह तआला के यह जलीलुलकद्र नबी सारी मुसीबतों को बरदाश्त कर के सब्र व शुक्र
करते थे और अल्लाह तआला की मदद के तलबगार रहते थे |
अल्लाह तआला ने उन के सब्र का यह बदला आता किया के बिखरे हुए बेटों से मुलाकात करादी
और तमाम औलाद को जमा कर दिया और साथ ही उन की बीनाई भी वापस करदी | यकीनन अल्लाह तआला
सब्र करने वालों को ऐसे ही इनामात से नवाजाता है |
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