हजरत युसूफ की नुबुव्वत व हुकूमत

         हजरत युसूफ की नुबुव्वत व हुकूमत
अल्लाह तआला ने हजरत युसूफ को ईमान व तौहीद और वही की बरकोतों से नवाजा था, अगरचे शुरु में माल व दौलत, दुनियवी तरक्की और शहरी जिन्दगी उन्हें हासील नहीं थी

और देहात की सादा और बे तकल्लुफ जिन्दगी गुजारते थे, मगर कुदरते इलाही का करिश्मा देखिये के देहात के रहने वाले अपनी ख्वाहिश व मर्जी के बगैर मिस्र जैसे तहजीब व तमद्दुन वाले मुल्क में पहुँच गए और इम्तेहान व अजमाइश के मुख्तलिफ मरहलों मे गुजरते हुए वहाँ के बादशाह के पास पहुँच गए, फिर एक मर्तबा बादशाह के एक ख्वाब की ताबीर बताने के बाद मुल्के मिस्र की सुरते हाल का तजकेरा करते हुए फर्माया : कहत साली के इस दौर में हुकूमत को कामयाबी के साथ चलाने की सलाहियत और तबाही से निकालने की तदबीर और मुल्क की गिरती हुई मईशत (Economy) की हिफाजत करना मैं जानता हूँ | जब अजीजे मिस्र ने ख्वाब की सही ताबीर और हजरत युसूफ की अमानत व दियानत और सादगी  व सच्चाई को अपनी आँखों से देख लिया, तो हुकूमत के ओहदेदारों और आम व खास शहरियों को जमा कर के तख्त व हुकूमत आप के हवाले करदी, आप की दावती कोशिशों से बादशाह ने ईमान कबुल कर लिया और पुरा खान्दान मिस्र में आबाद हो गया | इस तरह नुबुव्वत के साथ उन्होंने मिस्र पर ८० साल तक कामयाब हुकूमत करते हुए १२० साल की उम्र में इंन्तेकाल फर्माया |                                                                                            







                                                       

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