हजरत इब्राहीम की आजमाइश
हजरत इब्राहीम की आजमाइश
हजरत इब्राहीम की पुरी
जिन्दगी आजमाइशों से भरी हुई है, उन्हें बडे बडे इम्तेहान से गुजरना पडा | मगर हर
मौके पर अल्लाह तआला ने उन्हें नजात दी | गौर की जिये के जब उन के वालीद समेत पुरी
कौम और बादशाहे वक्त ने पैगामे हक सुनाने की वजह से दहेकती हुई आग में डालने का
फैसला किया तो बातिल परस्तों का यह खतरनाक फैसला भी हजरत इब्राहीम के कदमों को
डगमगा न सका |
फिर जब बुढापे की उम्र में दुआओं और हजार तमन्नाओं के बाद हजरत
इस्माईल की पैदाइश हुई तो उन्हें बिल्कुल बचपन ही में, अपने से जुदा करने का
अल्लाह तआला ने हुक्म दिया और जब वह कुछ बडे हुए तो फिर अल्लाह तआला ने उन्हें
अपने नाम पर कुर्बान करने का हुक्म दिया |
यह सब ऐसे सख्त मराहिल थे के जहाँ बडे
बडे जवाँ मर्द के कदम भी डगमगाने लगेत है, मगर कुर्बान जाइये हजरत इब्राहीम की
कुर्बानी और जज्बए इतआत पर के हुक्म मिलते ही उस को पुरा करने के लिये तय्यार होगए
और एक वफादार इन्सान की तरह जो कुछ कर सकते थे कर गुजरे | यकीनन उन की यह बे मिसाल
इताअत व फर्माबरदारी पुरी उम्मत के लिये एक बेहतरीन नमुना और इबरत है |
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