हजरत इब्राहीम को सजा देने की तजवीज
हजरत इब्राहीम को सजा देने की तजवीज
हजरत इब्राहीम की दावते
तोहीद की खबर आहिस्ता आहिस्ता बादशहा नमरूद को भी पहुँच गई, जिस ने खुदाई का दावा
कर रखा था | बादशाह ने हजरत इब्राहीम को तलब किया | मगर इस अजीम पैगम्बर ने वहाँ
भी अल्लाह तआला की वहदानियत और उस की सिफात को खूब अच्छी तरह वाजेह किया, जिस से
बादशाह लाजवाब हो गया और दुश्मनी पर उतर आया | अब वालीद, कौम और बादशाहे वक्त ने
मिल कर उन्हे सजा देनी की तदबीर की और बादशाह के मुश्वरे पर कौम के लोगों ने एक
खास जगह में कई रोज तक आग दहकाई जिस के शोलों से आस पास की चीजें झुलसने लगीं |
जब
लोगों को यकीन हो गया के हजरत इब्राहीम इस आग से जिन्दा बच कर हरगीज नहीं निकल
सकेंगे तो उन को उस आग में डाल दिया | मगर रब्बुलआलमीन की मदद और उस की जबरदस्त ताकत
के सामने उन कम अक्लों की तदबीरें कहाँ चल सकती थी | अल्लाह तआल ने आग को हुक्म
दिया के ऐ आग ! तू इब्राहीम पर सलामती के साथ ठंडी हो जा ! आग शोलों और अंगारों के
बावजुद उसी वक्त उन के हक में ठंडी हो गई और हजरत इब्राहीम उस में सही व सालिम रहे
| इस कुदरते खुदावन्दी और मुअजिजे को देखने के बाद भी लोगों ने ईमान कुबूल नही
किया, तो हजरत इब्राहीम ने हिजरत का इरादा फर्मा लिया और हजरत सारा और अपने भतीजे
हजरत लुत को ले कर फलस्तीन, नाबलस और मिस्र वगैरह की तरफ हिजरत कर गए, इस दौरान
दीन की दावत का फरीजा भी अन्जाम देते रहे |
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