हजरत इस्माईल

                       हजरत इस्माईल
हजरत इस्माईल हजरत इब्राहीम के बडे फरजन्द थे | कुर्आने करीम में उन का तजकेरा आठ जगहों पर आया है | हुजूर और अरब के मशहूर और बाइज्जत खान्दान कुरैश का तअल्लुक भी उन्हीं की नस्ल से है | 

पैदाइश के बाद हजरत इब्राहीम अल्लाह तआला के हुक्म के मुताबिक उन्हें उन की वालिदा के साथ बैतुल्लाह के करीब चटियल मैदान में छोड कर चले गए थे, जब खाने पीने का सामान खत्म होगया, तो हजरत इस्माईल की तरबियत व परवरीश के लिये अल्लाह तआला ने जमजम का चश्मा जारी कर दिया, जो आज तक मौजूद है | इत्तेफाक से बनू जुरहुम का एक काफ्ला उधर से गुजरा तो उस चश्मे को देख कर हजरत हाजरा से उस जगह बसने की इजाजत चाही, इजाजत मिलते ही बैतूल्लाह के आस पास एक बस्ती आबाद होगई | जब अल्लाह तआला ने हजरत इब्राहीम से हजरत इस्माईल की कुर्बानी तलब फर्माई, तो दोनों बखुशी तय्यार हो गए और बाप बेटे को कुर्बान करने के लिये चल पडे, जब छुरी गर्दन पर चलने लगी तो अल्लाह तआला ने खुश हो कर उस की जगह जन्नत से दुंबा भेजा, फिर उस की कुर्बानी की, चुनान्चे इसी की याद में ईदुल अजहा के मौके पर जानवरों की कुर्बानी का सिलसिला हमेशा के लिये जारी किया गया, फिर कबील-ए-बनू जुरहुम में हजरत इस्माईल की शादी हुई | हजरत इस्माईल ने १३७ साल की उम्र में वफात पाई और अपनी वालीदा माजीदा के पहेलू में हरम शरीफ में दफन हुए |                                                                            
                                     

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