५) एक फर्ज के बारे मे
औलाद की मीरास में माँ बाप
का हिस्सा
कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “माँ बाप ( में से हर एक ) के लिये मय्यित के छोडे हुए माल में छटा हिस्सा
है, अगर मय्यित के लिये कोई औलाद हो |”
खुलासा : अगर किसी का इन्तेकाल
हो जाए और उस के वरसा में माँ बाप और औलाद है, तो माँ बाप में से हर एक को अलग अलग
छटा हिस्सा देना फर्ज है |
इस्लाम में नमाज की अहेमियत :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “दिन बगैर नमाज के नही है नमाज दिन के लिये ऐसी है
जैसा आदमी के बदन के लीए सर होता है”|
अल्लाह ही मदद करने वाले हैं :-
कुर्आन में अल्लाह तआला फर्माता है : “अल्लाह तआला ही जिन्दगी व मौत देता है,
अल्लाह तआला के अलावा कोई काम बनाने वाला और मदद करने वाला नही है |”
खुलासा : इन बातों पर ईमान
लाना और इस का यकीन करना हर एक मुसलमान पर फर्ज है |
अजाने जुमा के बाद दुनियावी काम छोड देना :-
कुर्आन में अल्लाह तआला
फर्माता है : “ऐ ईमान वालो ! जुमा के दिन जब ( जुमा की ) नमाज के लिए अजान दि जाए,
तो ( सब के सब )अल्लाह की तरफ दौड पडो और खरीद व फरोख्त छोड दो | यह तुम्हारे लिए
बेहतर है, अगर तुम जानते हो |”
खुलासा : जुमा की अजान
सुनने के बाद फौरण जुमा के लिये निकलने की तय्यारी करना और सारे दुनियावी काम काज
का छोडना जरुरी है |
जकात की फर्जियत :-
रसूलुल्लाह सल. ने हजरत मआज
बिन जबल को यमन भेजते वक्त फर्माया : “ उन लोगों को बता देना के अल्लाह तआला ने उन
पर उन के माल में जकात फर्ज की है |”
फायदा : अगर किसी के पास
निसाब के बराबर माल हो, तो उस में से जकात अदा करना फर्ज है |
जमात से नमाज न पढने पर वईद :-
हजरत अब्दुल्लाह इब्ने
अब्बास से किसी ने पुछा के एक शक्स दिन भर रोजा रखता है और रात भर नफ्लें पढता है
मगर जुमा और जमात में शरीक नहीं होता ( उस के मुतअल्लिक क्या हुक्म है ) उन्होंने
फर्माया : “वह शक्स जहन्नमी है |”
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