२) एक फर्ज के बारे मे
बिवी की वीरासत मे शोहर का
हिस्सा :-
कुर्आन में अल्लाह तअल्ला
फर्माता है : “ तुम्हारे लिए तुम्हारी बिवियों के छोडे हुए माल में से आधा हिस्सा है,
जब के उन की कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बिवियों के छोडे हुए
माल मे चोथाईं हिस्सा है ( तुम्हें यह हिस्सा ) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के
बाद मिलेगा |”
नमाजि पर जहन्नम की आग हराम है :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “जो शख्स पाँचो नमाजों की इस
तरह पाबंदी करे के वूजू और औकात का एहतेमाम करे, रुकुअ और सज्दा अच्छी तरहा करे और
इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह ताआला का हक समझे तो उस आदमी को जहन्नम की
आग पर हराम कर दिया जाएगा |”
हज किन लोगों पर फर्ज है :-
कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है : “अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतूल्लाह का हाज करना (
फर्ज ) है जो वहाँ तक पाहूँचने की ताकत रखता हो |”
शोहर की विरासात में बिवी का हिस्सा :-
कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है :- इन औरतों
के लिए तुम्हारे छोडे हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो
और अगर तुम्हारी औलाद होतो. उन के लिए तुम्हारे छोडे हुए माल मे अठवां हिस्सा है (
उन को यह हिस्सा ) तुम्हारी वसीय्यत और
कर्ज को अदा करणे के बाद मिलेगा |”
अल्लाह हर एक को दोबारा जिन्दा करेगा :-
कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है : “ अल्लाह ही वह है जिस ने तुम को पैदा
किया और वही तुम्हे रोजी देता है, फिर ( वक्त अने पर ) वही तुम को मौत देगा और फिर
तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा |”
फायदा : मरणे के बाद अल्लाह
ताआला दोबारा जिन्दा करेंगा जिस को “बअस ब अदल मौत” कहेते हैं इस के हक होने पर
ईमान लाना फर्ज है |
नमाज में किबला की तरफ रुख करना :-
कुर्आन में अल्लाह तअल्ला फर्माता है : तुम जहाँ
कही भी रहो ( नमाज में ) अपने चेहरों को उसी ( बैतुल्लाह शरीफ ) की तरफ किया करो
|’
( यानी : किबले की तरफ रुख
कर के नमाज अदा करना फर्ज है |)
दिनी इल्म हासिल करना :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “ ( दिनी ) इल्म हासील करना हर मुसलमान पर फर्ज है |”
फायदा : हर मुसलमाण पर इल्मे दिन का इतना हासील करणा फर्ज है के जिस से हलाल व हराम मे तमीज कर ले और दिन
की सही समझ बुझ, इबादात वगैरह के तरीके और सही मसाईल की मालुमत हो जाए |
जमात के साथ नमाज अदा करना :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “ जो शख्स नमाज के लिये कामिल वुजू करता है फिर फर्ज नमाज के लिये चल कर जाता है और लोगों के साथ नमाज पढता है या आप
ने फर्माया : जमात के साथ नमाज पढता है या फर्माया नमाज मस्जिद में अदा करता है तो
अल्लाह तआला उस के गुनाहों को माफ फर्मा देते है |”
कुर्आने
मजीद पर ईमान लाना :-
कुर्आन में अल्लाह तअला फर्माता
है : ऐ ईमान वालो ! अल्लाह की जात, उस के रसूल और उस की किताब ( यांनी कुर्आन ) पर
ईमान लाओ, जिस को अल्लाह ने अपने रसूल पर नाजिल फर्माया है और उन किताबों पर भी (
ईमान लाओ ) जो उन से पहेले नाजील की जा चुकी है |”
खुलासा : कुर्आने करिम को
अल्लाह ताआला की उतारी हुई किताब समझना और
उस के हर्फ सही होने का यकीन रखना फर्ज है |
अपने घर वालों को नमाज का हुक्म देना :-
कुर्आन में अल्लाह तअला फर्माता
है : आप अपने घर वालों को नमाज का हुक्म करते रहिये और खुद भी नमाज के पाबंन्द
रहिये, हम आप से रोजी तलब नही करते, रोजी तो आप को हम देंगे और अच्छा अंजाम तो परहेजगरी
ही का है
माँ बाप के साथ अच्छा सुळूक करना :-
कुर्आन में अल्लाह तअला फर्माता
है : “हम ने इन्सान को आपने माँ बाप के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया है, उस
की माँ ने बडी मशक्क्त के साथ पेट में रखा और बडी तकलीफ के साथ उस को जना है |’
दाढी रखना :-
रसूलुल्लाह सल. ने फर्माया : “मुँछों को कतरवाओ और दाढी को बढाओ |”
फायदा : दाढी इस्लामी शिआर
में से है और दाढी रखना शरिअत में वाजिब है, इस लिए मुसलमानों पर दाढी रखना जरुरी है
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